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अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
ज़ुबाँ से बोलेगा या फिर नज़र से बोलेगा मेरा वजूद तो मेरे हुनर से बोलेगा क़लम क़लम है क़लम की ज़ुबाँ नहीं होती क़लम का दर्द तुम्हारी खबर से बोलेगा। चेतन आनंद