वक़्त चुपके से मेरे दिल की कहानी लिख गया। मेरी सूनी आँखों में दरिया का पानी लिख गया। ये उसी का ही असर था, जो किताबे जीस्त के- हर सफे पे उसकी ही यादें पुरानी लिख गया। आंसुओं को अब चुकाना ही पड़ेगा, क्योंकि दिल- अब तलक जो क़र्ज़ था, सारा ज़बानी लिख गया। कौन था वो, जो मेरे दिल को समंदर कह गया, और आँखें, आंसुओं की राजधानी लिख गया।
अब इनकी किस्मत है चाहे जितनी दूर तलक जाएँ, मैंने कोरे कागज़ पर अल्फाज़ के पंछी छोड़े हैं।