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मुक्तक

खामोश हम रहे तो पहल कौन करेगा
उजड़े चमन में फेरबदल कौन करेगा
प्रश्नों के पक्ष में अगर चले गए जो हम
उत्तर की समस्याओं को हल कौन करेगा।

तुम नहीं थे पर तुम्हारी याद थी,
दिल की दुनिया इसलिए आबाद थी,
क्यों न बनता मेरे सपनों का महल,
इसमें तेरे प्यार की बुनियाद थी।

सबकी आँखों के प्यारे हुए,
हम थे ज़र्रा सितारे हुए,
लोग सब जानने लग गए,
दिल से हम जब तुम्हारे हुए।

तुझसे रिश्ते जो गहरे हुए,
दिन सुनहरे-सुनहरे हुए,
नींद आती नहीं रातभर,
तेरी यादों के पहरे हुए।

ये हमें महसूस होता जा रहा है,
वो बड़ा मायूस होता जा रहा है,
चिट्ठियाँ हाथों में आती ही नहीं अब,
डाकिया जासूस होता जा रहा है।

खुशबुओं की ज़रूरत हो तुम,
क्या कहूं कैसी मूरत हो तुम,
चाँद में भी दरार आ गई,
किस कदर खूबसूरत हो तुम।

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प्यार के दोहे

प्यार युद्ध, हिंसा नहीं, प्यार नहीं हथियार, प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार। प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान, प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान। प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर, ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर। प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट, प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट। प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन, प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन।

दो मुक्तक

चलते रहना बहुत ज़रूरी है, दिल की कहना बहुत ज़रूरी है, देखो, सागर बनेंगे ये आंसू, इनका बहना बहुत ज़रूरी है। शहर आँखों में समेटे जा रहे हैं, स्वार्थ की परतें लपेटे जा रहे हैं, छोड़कर माँ-बाप बूढ़े, कोठरी में, बीवियों के संग बेटे जा रहे हैं.

मुक्तक

यूँ भी हुए तमाशे सौ। पाया एक, तलाशे सौ। जब भी उसका नाम लिया, मुंह में घुले बताशे सौ। यूँ समझो था ख्वाब सुनहरा याद रहा। मुझे सफ़र में तेरा चेहरा याद रहा। कैसे कह दूँ तेरी याद नहीं आई, रस्ते भर खुशबु का पहरा याद रहा.